एक गांव में लालू जलेबी वाला रहता था। लालू जलेबी बनाया करता था और रेज सुबह से शाम लालू की दुकान पर जलेबी खाने वालों की लाइन लगी रहती।
यहां तक कि उसकी जलेबी खाने दूर गांव से लोग आते।
लालू अपनी प्रसिद्धि से अपनी जिंदगी में बहुत खुश था।
एक बार एक आदमी लालू की दुकान में जलेबी खा रहा था, जलेबी तो उस आदमी को पसंद आ ही गई थी।
उस आदमी ने लालू जलेबी वाले से कहा ” लालू तुम जलेबी के साथ-साथ मलाईदार रबड़ी क्यों नहीं बनाया करते जलेबी तो तुम्हारी प्रसिद्ध है ही साथ में रबड़ी बन जाती तो लोगों की भीड़ और बढ़ जाती। “
जलेबी वाले को सिर्फ जलेबी बनाने आता थी ।
लालू ने कहा ” भाई साहब मुझे तो सिर्फ जलेबी बनानी आती है। “
उस आदमी ने कहा ” चाहो तो तुम एक हलवाई रख लो अगर हलवाई नहीं मिल रहे तो मैं कल ही एक हलवाई से तुम्हें मिला सकता हूं जो बहुत ही अच्छी मलाईदार रबड़ी बनाता है। “
लालू उस आदमी की बात गौर से सुन यह सोच रहा है कि ” उसकी जलेबी तो बिक ही रही है साथ में एक रबड़ी बनाने वाला आ जाए तो उसकी दुकान और भी प्रसिद्ध हो जाएगी और काम को बढ़ाया जाए। “
अगली सुबह वह आदमी रबड़ी बनाने वाले हलवाई को लालू से मिलवाता है और रबड़ी बनाने का काम भी शुरू हो जाता है।
अब लालू की दुकान पर जलेबी और रबड़ी दोनों बिकने लगी थी ग्राहक दोनों का स्वाद लेने लगे हर ग्राहक ने जलेबी के साथ रबड़ी खाने की इच्छा जरूर हुई और ग्राहकों को जलेबी के साथ साथ रबड़ी पसंद भी आने लगी।
ग्राहकों को जलेबी और रबड़ी का स्वाद खूब आने लगा।
धीरे-धीरे रबड़ी वाला भी लालू से जलेबी बनाना सीख लेता है।
कुछ दिन बीत जाते हैं। एक दिन रबड़ीवाला लालू से आकर कहता है ” मैं कुछ दिनों के लिए शहर कुछ सामान लेने जा रहा हूं। “
अगली सुबह लालू के दुकान में ग्राहकों की भीड़ लग जाती है।
लालू की दुकान में सिर्फ जलेबी देख ग्राहक लालू से पूछने लगे ” भैया लालू, आज रबड़ी नहीं बना रहे ? “
लालू ने कहा ” रबड़ी बनाने वाला हलवाई कुछ कामो के लिए सहर गया हुआ है, कुछ ही दिनों में आ जाएगा। “
लालू की ये बात सुन कर ग्राहक वहा से चले जाते है।
धीरे धीरे लालू की दुकान पर ग्राहक आना कम हो जाते है और लालू चिंतित हो जाता है।
तभी एक ग्राहक लालू को चिंता में देख उसके दुकान पर आता है और लालू से पूछता है ” क्या हुआ लालू भाई बड़े चिंतित लग रहे हो ? “
लालू कहता है ” क्या बताऊं भाई आज कल मेरी जलेबी नहीं बिकती और आज 6 दिन हो गए रबड़ी वाला भी नहीं आया। “
लालू की बात सुन कर ग्राहक सोच में पड़ जाता है।
लालू की चिंता दूर करने के लिए ग्राहक उसे पास के गांव से लाए जलेबी और रबड़ी उसे देता है और कहता है ” ये मलाईदार रबड़ी और जलेबी चख कर देखो लालू भाई मै पास के गांव से लाया हूं। “
लालू जलेबी खाता है और उसे जलेबी की स्वाद पहचानी लगती है।
लालू जलेबी खाते है सोच में पड़ जाता है और कहता है ” ये जलेबी और रबड़ी हमारे जैसे ही बनाई है। “
लालू उस ग्राहक से कहता है ” भाई क्या तुम मुझे ये बटा सकते हो ये जलेबी किसकी दुकान से लाए हो। “
तभी लालू दूसरे गांव पर जाता है और देखता है कि वही हलवाई जो उसकी दुकान पर था, आज दूसरे की दुकान पर रबड़ी और जलेबी बना रहा है।
और वहीं दूसरा आदमी जिसने उसे हलवाई से मिलवाया था वो जलेबी बना रहा है।
ये देख लालू हैरान हो जाता है और समझ जाता है कि उन दोनों ने मिल कर लालू कि उल्लू बना दिया और जलेबी खाने वाले सभी ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया।
सीख:- कभी भी अजनबी आदमी पर आंख बंद कर विश्वाश नहीं करना चाहिए हमेशा सूझ बूझ के साथ ही विश्वाश करना चाहिए।