एक बार की बात है एक शहर में रूपा नाम की एक औरत रहा करती थी रूपा के पति को गुजरे कई साल हो चुके थे।
रूपा का एक बेटा था उसका नाम था चिराग। रूपा शहर में अपनी मां और चिराग के साथ रहा करती थी।
चिराग अपने नानी के पास ही रहा करता था और चिराग की नानी घर का सारा काम करते हुए उसके साथ बातें भी किया करती थी।
घर की सारी जिम्मेदारी नानी पर थी और रूपा दुकान में व्यस्त रहती थी।
नानी मां और रूपा के दिनभर व्यस्त होने के कारण स्कूल के बाद चिराग को दोस्त के साथ खेलने के सिवाय कोई चारा नहीं था ऐसे ही एक शाम चिराग खेल कर घर लौट आया।
चिराग घर लौट कर आया और उसकी नानी मां से कहा ” मेरे सारे दोस्त घर चले गए मैं बोर हो चुका हूं “
नानी मां चिराग से बड़े प्यार से कहती ” तो तुम अपनी मां की मदद क्यों नहीं करते दुकान चलाने में “
चिराग यह सुन खुश हो जाता है और वह तुरंत दुकान की ओर निकल पड़ता है।
चिराग दुकान पर पहुंचता है। रूपा भी चिराग को दुकान पर मदद करने आया देख बहुत खुश हो जाती है और उसे गले पर बैठने को कहती है।
चिराग भी बहुत खुश होता है। रूपा ग्राहकों को सामान देते और चिराग पैसे लेते जाता।
अगले दिन से चिराग रोज रूपा की मदद करने पहुंच जाया करता था।
एक दिन दुकान पर चिराग का दोस्त आया उसका नाम था रवि । चिराग उस दिन दुकान से छुट्टी ले कर वो अपने दोस्त के साथ खेलने चला गया।
अगले दिन से स्कूल के बाद रवि रोज चिराग से मिलने लगा। रवि चिराग से अपनी दोस्ती बढ़ाने लगा।
चिराग और रवि अब अच्छे दोस्त बन चुके थे साथ में घूमा करते और हंसते खेलते रहते थे।
गेम खेलते खेलते रवि ने बातों ही बातों में चिराग से कहा ” चिराग, इतनी बड़ी दुकान होने के बाद भी तुमने मुझे चॉकलेट नहीं खिलाया। “
रवि यह बात सुनकर बुरा लगा और उसने भी कह दिया ” ठीक है दोस्त मैं कल से रोज तुम्हारे लिए चॉकलेट लेकर आऊंगा। “
अगले दिन से चिराग दुकान से रोज चॉकलेट चुराने लगा। रवि और चिराग रोज चॉकलेट खाने लगे यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा।
एक दिन रूपा का ज्ञान चॉकलेट्स पर पड़ा उसने देखा चॉकलेट्स दिन-ब-दिन कम होती जा रही थी पर चॉकलेट्स की बिक्री ही नहीं हो रही थी।
उस दिन रूपा ने चॉकलेट के डिब्बे पर ध्यान दिया तब उसने देखा कि चिराग ने दो चॉकलेट निकाली और अपनी जेब में रख ली।
कुछ देर बाद चिराग दुकान से निकला और आज रूपा ने चुपके से उसका पीछा किया रोज की तरह आज भी चिराग रवि के पास गया और दोनों साथ में चॉकलेट खाने लगे।
रूपा सामने आए और उसने चिराग के कान पकड़े और उसके कान पकड़ कर घर ले आई।
रूपा कोचिरा का कान पकड़ इतने गुस्से में देख रूपा की माने पूछा ” ऐसा क्या हुआ जो इसके कान पकड़ इसे घर ले आई? “
रूपा ने बड़े गुस्से से कहा ” मां आज चिराग ने अपने ही दुकान से चोरी की “
ये सुन चिराग की नानी ने रूपा को अंदर जाने को कहा।
रूपा के अंदर जाते ही चिराग में अपनी नानी को सब कुछ बता दिया।
नानी ने चिराग को समझाया ” अगर कोई दोस्त तुम्हे चोरी करने को बोल तो वो तुम्हारा सच्चा दोस्त नहीं है, ऐसे दोस्त तुम्हारा फायदा उठाने की कोशिश करते है। “
चिराग मरने की बात सुनकर रोते हुए अपनी मां के पास गया और उनसे कहा ” आज के बाद कभी चोरी नहीं करूंगा “
उस दिन चिराग में अच्छा सबक सीख लिया चोरी और बुरी संगति करना छोड़ दिया।